Sunday, April 28th, 2024

राजपाल से हुई शिकायत भी नहीं बचा सकी 119 बीयू विद्यार्थियों की पीएचडी 

फीस को दो किस्तों में जमा करने की शिकायत पहुंची राजभवन  

भोपाल 
बरकतलउल्ला विश्वविद्यालय ने कोर्सवर्क की फीस में करीब चार गुना बढ़ोतरी कर दी है। इसका खामियाजा विद्यार्थियों को अपनी पीएचडी छोड़कर भुगतना पड़ा है। फीस के अभाव में करीब 120 विद्यार्थी कोर्सवर्क के अभाव में पीएचडी नहीं कर पाएंगे। इसकी शिकायत राजभवन पहुंच गई है। 

बीयू ने पीएचडी कराने कोर्सवर्क शुरू कर दिया है। उन्हें लैब के उपयोग करने वाले विद्यार्थी को 31 हजार और बिना लैब वाली पीएचडी में विद्यार्थी को 21 हजार रुपए जमा करना हैं। फीस जमा करने की तिथि 29 मार्च रखी गई थी, जो कल खत्म हो गई है। पीएचडी की पात्रता 598 विद्यार्थियों ने हासिल कर रखी है, जिसमें 479 विद्यार्थी ही अंतिम समय तिथि तक फीस जमा कर पाए हैं। करीब 120 विद्यार्थी बढ़ी हुई फीस जमा नहीं कर पाए हैं। कुलपति आरजे राव ने स्पष्ट निर्देश दिए थे, जो विद्यार्थी तय तिथि में फीस जमा करेगा। उन्हें कोर्सवर्क में शामिल करने नहीं दिया जाएगा। इसके अभाव में विद्यार्थियों की पीएचडी निरस्त हो जाएगी।  

जबरिया जमा करा रहे अन्य कोर्स की फीस 
कोर्सवर्क के पांच हजार रुपए के साथ पंजीयन के 5 हजार के शुल्क साथ अन्य शुल्क भी शामिल हैं। यहां तक उनके प्रयोगशाला तक की फीस बीयू द्वारा जबरिया जमा कराई है। जबकि विद्यार्थियों का कहना है बीयू को सिर्फ अभी कोर्सवर्क की ही फीस लेना चाहिए। बीयू सभी मदों की फीस एकमुश्त कैसे जमा करा सकता है। जैसे पीएचडी की प्रक्रिया आगे बढ़ती जाएगी। मदों की फीस जमा कराना चाहिए।

समन्वय का बनाया बहाना
अधिकारियों का कहना है कि समन्वय समिति से फीस स्वीकृत की गई है। इसमें विद्यार्थियों से फीस लेने के लिए कहा गया है। ये बात स्पष्ट नहीं हैं कि पूरी फीस एकमुश्त तौर पर जमा होनी चाहिए। इसके बाद भी बीयू उनसे फीस जमा कराने पर आमाद है। यही कारण है कि राशि ज्यादा होने के कारण विद्यार्थी फीस जमा नहीं कर सके हैं। इसलिए अधिकारी विद्यार्थियों पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की अध्यक्षता में हुई समन्वय समिति की बैठक में हुए फैसले का बहाना ले रहे हैं। उनका कहना है कि विद्यार्थियों को फीस का विवरण देखने के बाद ही पीएचडी करने के लिए आना था, लेकिन बीयू ने डेढ़ साल में 12 मार्च को फीस का विवरण जारी किया है। 

आचार संहिता में नहीं मिली छुट्टी
पीएचडी करने वालों में करीब आधा दर्जन ऐसे विद्यार्थी भी शामिल हैं,जो सरकारी नौकरी में हैं। उन्हें लोकसभा चुनाव में आचार संहिता के कारण अपने संस्थानों से कोर्सवर्क करने की स्वीकृति नहीं दी गई है। इसलिए उन्हें कोर्सवर्क को छोड़ना होगा। उनके लिए बीयू की तरफ से कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। जबकि अधिकारियों का कहना है जब इस संबंध में कोई जानकारी आएगी। इसके बाद उनका फैसला किया जाएगा।

निजी विवि से करेंगे पीएचडी
विद्यार्थियों का आरोप है कि कोसवर्क के साथ प्लेगरिज्म की फीस जमा करने पर पूरी पीएचडी एक लाख रुपए तक की पड़ेगी। इससे बेहतर होगा कि वे निजी विवि से पीएचडी कर सकते हैं। इससे उन्हें फीस के साथ अन्य सुविधाओं का लाभ भी मिलेगा। 

डेढ़ साल में कोर्सवर्क तक ही पहुंच सके 
बीयू ने पीएचडी की प्रवेश परीक्षा दिसंबर 2017 में आयोजित कराई थी। डेढ़ साल में बीयू सिर्फ विद्यार्थियों की आरएसी कराकर उन्हें कोर्सवर्क करने के लायक ही बना पाया है। जबकि रानी दुर्गावति विवि जबलपुर ने काफी रफ्तार में कार्य करते हुए विद्यार्थियों के कोर्सवर्क शुरू करने की व्यवस्था जमा दी हैं। इतना समय और इंतजार करने के बाद सिर्फ फीस के कारण विद्यार्थियों को फीस के चलते पीएचडी छोड़ना पड़ रही है।  

Source : MP Education

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